Sunday, December 25, 2011

ख्वाब !!

धीरे धीरे से, उकताए हुए से,
तपती धरती पर, छाये हुए से,
कुछ ढलते, कुछ संवरते,
कभी उफनते , कभी शर्माए हुए से|

रातों में पले, सूरज में सजे,
पूजा में रचे, रंगों में रंजे,
लोगों को जंचे, अपनों से बचे,
अपने से रहे, मेरे ख्वाब|

कितनो से सुने, कितनों ने कहे,
सच से घिरे, कभी सच से परे,
बनते ही बने, कभी बनके न बने,
अनबन में बने, मेरे ख्वाब|

गिरे तो गहरे, उठे तो पहरे,
जाये तो जाये, आये तो पहरे,
हिम्मत से बंधे, भीड़ से डरे,
अकेले में ठहरे, मेरे ख्वाब |

कोई सुने, तो बेताबी,
कोई न सुने, तो बेताबी,
जो चमके, तो बादशाह,
जो बेताज, तो मेरे ख्वाब|

रात अँधेरी बाहर कैसी
चिंगारी अन्दर ये कैसी
राह नयी, तो राहत कैसी
चले, बहुत चले मेरे ख्वाब|

बदलते तकाजे, बदलते प्रश्न
बदलते जाम, बदलते जश्न
कुछ जमे, कुछ बह गए
कुछ नशीले से, मेरे ख्वाब|




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