Tuesday, November 24, 2020

बगावत

कुछ तो तिरे मौसम ही मुझे रास कम आये..
और कुछ मिरी मिट्टी में बग़ावत भी बहुत थी..
-परवीन शाकिर

Thursday, November 05, 2020

आग

तेरे खुशबू में बसे खत मैं जलाता कैसे
प्यार में डूबे हुए खत मैं जलाता कैसे
तेरे हाथों के लिखे खत मैं जलाता कैसे
तेरे खत मैं आज गंगा में बहा आया हूं
आग बहते हुए पानी में लगा आया हूं।

-राजेन्द्र नाथ रहबर #जन्मदिन